कॉमनवेल्थ गेम्स में यह उनका दूसरा गोल्ड और कुल तीसरा मेडल है। 2018 में भी उन्होंने 65 किलोग्राम कैटेगरी में गोल्ड जीता था। 2014 में 61 किलोग्राम कैटेगरी में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था। कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में भी उनके नाम दो गोल्ड मेडल हैं। यह इस कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का 7वां गोल्ड और कुल 22वां मेडल है। रेसलिंग में बजरंग से पहले अंशु मलिक ने सिल्वर मेडल जीता था।
बजरंग पूनिया के सामने राउंड ऑफ 16 के मुकाबले में उनके सामने लोव बिंघम थे। दो मिनट से भी कम समय में बजरंग ने यह मुकाबला जीत लिया। इसके बाद मॉरीशस के जीन बंडौ के खिलाफ भी बजरंग को आसान जीत मिली। इंग्लैंड के जॉर्ज रैम को उन्होंने सेमीफाइनल मुकाबले को 10-0 से हराकर फाइनल में जगह पक्की की थी। बजरंग टोक्यो ओलिंपिक के बाद से लगातार चोट से जूझ रहे थे। वह गेम्स से पहले अमेरिका में ट्रेनिंग कर रहे थे। इस साल अप्रैल में एशियन चैंपियनशिप में उन्हें सिल्वर मिला था। मई में कॉमनवेल्थ गेम्स के ट्रायल में कड़ी मशक्कत करने के बाद वह जगह बनाने में सफल हुए थे।